Saturday, January 23, 2010

हम सब एक हैं / We are one

हिंदी में

प्रेम से देखो तो संसार एक उपवन है
हम सुमन हैं और माली वो भगवन है

उर्दू में

मोहबत से देखो ये जहाँ इक गुलज़ार है
हम सब गुल है माली वो परवरदिगार है

In English

See with Love this world like a Garden
We are flowers and the God is Gardener

Thursday, January 21, 2010

अधर से अधर का मिलन


अधर से अधर का मिलन होने दो
जलती सांसों कि ठंडी अगन होने दो
ऋतू यह यौवन कि है
गोरी तू सुन ले जरा
हूँ मैं मिलन को आतुर
जैसे यह गगन और धरा
हूक सी एक उठती है
रह-रह के जो तन-मन में
खत्म मीठी से यह
चुभन होने दो


अधर से अधर का मिलन होने दो
जलती सांसों कि ठंडी अगन होने दो


मैं अकेला ही
जन्मों से हूँ चलता-चला
दूर मुझसे रहोगी
तुम कब तक भला ?
अब तो बांहों भर लो
मुझे तुम जरा
अपनी जुल्फों में दे दो
तुम मुझे आसरा
ख़त्म विरह के
यह वन सघन होने दो


अधर से अधर का मिलन होने दो
जलती सांसों कि ठंडी अगन होने दो


कोयल कु-कु है क्या गाती सुनो
पुष्प हँसते हुए क्या कह रहे तुम सुनो
शीतल बहती हुए यह पावन क्या कहे
सागर कि उठती हुए लहर क्या कहे
क्या कहती है ?
कवि की कविता-ग़ज़ल तुम सुनो
यह सब कहते हैं कि
प्रेम ही जग में सबसे पावन-मधुर
सत्य इन सबके तुम कथन होने दो
दो बदन एक तन-मन होने दो


अधर से अधर का मिलन होने दो
जलती सांसों कि ठंडी अगन होने दो

Wednesday, January 20, 2010

नव भारत/ New India

चलो पूर्ण स्वतंत्रता का अहवाहन करें !!

नव भारत का हम सृजन करें
६० वर्षों का हम मंथन करें !!
छल-कपट, द्वेष और भ्रष्टता का
सब मिलकर आओ दमन करें
बुराईओं का बहिर्गमन करें
अच्छाईओं का हम श्रीनमन करें !

चलो पूर्ण स्वतंत्रता का अहवाहन करें !!

उंच-नीच, जाति-पाती,
नर-नारी और रूप-रंग के
खत्म हम सारे परिसीमन करें!
हर तरफ नजर आते हैं,
जो यह भूखें -नंगे लोग
आओ सब मिलकर इनके लिए
अन्न -वस्त्र का सर्जन करें!

चलो पूर्ण स्वतंत्रता का आह्वाहन करें !!

बैर की सारी तलवारें रखलें
अपनी म्यानों में और
मैत्री भाव का श्री अनुकरण करें!
मिटा दें अज्ञान का अंधकूप
और ज्ञान के सूर्य का आओ,
हम सब मिलकर श्री आगमन करें!

चलो पूर्ण स्वतंत्रता का अहवाहन करें !!